कर्णपुरा महाविद्यालय में हिंदी विभाग की ओर से सेमिनार का आयोज
कर्णपुरा महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में हिंदी विभाग की ओर से ‘प्रेमचंद की कहानियों एवं उपन्यासों में यथार्थवाद का चित्रण’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया । सेमिनार की अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य प्रो. कीर्ति नाथ महतो एवं संचालन हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. अन्नु कुमारी ने किया ।
सेमिनार के मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य प्रो. ज्योति जलधर थे। उन्होने कहा कि प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महान उपन्यास सम्राट, कहानीकार एवं विचारक थे। प्रेमचंद की कहानियों तथा उपन्यासों में यथार्थवाद का सजीव चित्रण मिलता है। उनकी रचनाओं में समाज से जुड़ी समस्याओं को चित्रित किया गया है ।प्रभारी प्राचार्य प्रो. कीर्ति नाथ महतो ने कहा की आदर्शोन्मुख यथार्थवाद प्रेमचंद के साहित्य की मुख्य विशेषता है ।प्रेमचंद की रचनाओं में छुआछूत ,दहेज प्रथा, अनमेल विवाह ,जाति भेद ,विधवा विवाह ,लगान, पराधीनता आदि समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया गया है। प्रो. सुरेश महतो ने कहा कि प्रेमचंद ने 300 से भी अधिक कहानी लिखी और प्रेमचंद की कहानी “पंच परमेश्वर” पर अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रो.फजरुद्दीन अंसारी ने प्रेमचंद की लिखी उर्दू कहानी- संग्रह ‘सोजे वतन’ पर कहा कि इसमें देशभक्ति से प्रेरित कहानी लिखी गई जिसे अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया और इसकी सारी प्रतियां जप्त कर ली। प्रो. ललिता कुमारी ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों में समाज की झलक दिखाई पड़ती है ‘कफन’ कहानी समझ में व्याप्त गरीबी को दर्शाती है। छात्र-छात्राओं में पूजा कुमारी, अंबिका कुमारी ने प्रेमचंद की कहानी ‘दो बैलों की कथा’ ,’ईदगाह’, ‘निर्मला’, ‘सेवासदन’ आदि रचनाओं प्रकाश डाला। सेमिनार का समापन प्रो. निरंजन प्रसाद नीरज ने प्रेमचंद की कहानियों पर प्रकाश डालते हुए धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान के साथ किया ।सेमिनार में प्रो. नरेश कुमार दांगी ,प्रो. लालदेव महतो ,प्रो.किशोर कुमार दांगी, प्रो. पवन कुमार एवं सैकड़ो छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
कर्णपुरा महाविद्यालय में हिंदी विभाग की ओर से सेमिनार का आयोज
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